''इंसान ने वक़्त से पूछा... "मै हार क्यूं जाता हूँ ?"
वक़्त ने कहा.. धूप हो या छाँव हो, काली रात हो या बरसात हो, चाहे कितने भी बुरे हालात हो, मै हर वक़्त चलता रहता हूँ, इसीलिये मैं जीत जाता हूँ, तू भी मेरे साथ चल, कभी नहीं हारेगा............."
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फूलों मे खुशबू नही तो कमल का क्या होगा,
कुंड़ में अग्नि नही तो हवन से क्या होगा,
भले ही कितने मंदिर खडे करते जाओ,
अगर श्रद्धा नही भगवान पर तो नमन से क्या होगा..
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आज का मतलब?
बाकी बची हुई जींदगी का पहला दीन।
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दुकान पर टंगी मिर्च और नींबू, घर पर टंगा मुखौटा, बच्चे के मुंह पर लगा नजर का टीका, गाड़ी के पीछे टंगी जूतियाँ और बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला जैसे लिखे वाक्य ये दर्शाते हैं कि अभी आप मानसिक रूप से कमजोर हो । आप अपने अन्दर से ही भयभीत हो । जो आपने देखा ही नही उससे डरे हुए हो । आप अपनी नाकामयाबी के लिए दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हो । आपका अपने कर्म से ज्यादा भाग्य पर विश्वास है और आप भाग्य के आगे हार मान चुके हो । आप अपनी सफलता के लिए टोने टोटके पर विश्वास करते हो । आप किसी भी दुर्घटना को दूसरे की बुरी नजर से जोड़कर देखते हो । आप अभी भी पुरातन काल में जी रहे हो.
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खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं....
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रिश्ते खराब होने की एक वजह ये भी है, कि लोग अक्सर टूटना पसंद करते है पर झुकना नहीं..
हमें स्कूल में त्रिकोण, चौकोण, लघुकोण, काटकोण, विशालकोण इत्यादी सब पढ़ाया जाता है..
...पर... जो जीवन में हमेशा उपयोगी है वो कभी पढ़ाया नही जाता वो है.."दृष्टिकोण"....
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दुःख में भगवान् को याद करने का 'हक़' उसी को होता है जिसने सुख में उसका 'शुक्रिया ' अदा किया होता है.
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रिश्ते होते है मोतियों की तरह.. कोई ''गिर'' भी जाए तो ''झुक'' के उठा लेना चाहिये
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मंजिल तो हांसिल कर ही लेंगे कहीं किसी रोज,
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा के मर जाएँ!...
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एक क़तरा ही सहीं,मुझे ऐसी नीयत दें मौला...
किसी को प्यासा जो देखूँ,तो ख़ुद पानी हों जाऊँ
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