॥ आरती श्रीबजरंगबली की ॥
ॐ जय बजरंगबली, प्रभु जय बजरंगबली।
जब ली शरण तुम्हारी, तब सब विपद टली ॥ ध्रु ॥
राम काज के कारण, पार किया सिंधु।
आपद्ग्रस्त जनो के, तुम ही हो बंधू ॥ १॥ ॐ..
बहुत प्रेत के भय को, क्षण भर में हारते।
विद्या बुद्धि बढाकर, सुख सम्पती करते ॥ २॥ ॐ..
लक्ष्मण प्राण बचाये, ला अमृत घुटी।
बस एक आप लगाते, टूँटी की बूँटी ॥ ३ ॥ ॐ..
सीता पता लगाया, अक्षय को मारा।
राक्षसपुंज पछारा, कृत लंका जारा ॥ ४॥ ॐ.…
वायुपुत्र गुणशाली, तुम्ही कहलाये।
जय हनुमान महाप्रभु, अंजनी के जाये ॥ ५॥ ॐ.…
राम भक्त की, प्रेमसहित गावे।
कहे धरणीधर वह नर, वांछित फल पावे ॥ ६॥ ॐ.…
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