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Monday 16 February 2015

आरती श्री गोरख नाथ जी की

आरती श्री गोरख नाथ जी की

जय गोरख देवा जय गोरख देवा।
कर कृपा मम ऊपर नित्य करू सेवा ॥

शीश जटा अति सुन्दर भल चन्द्र सोहे।
कानन कुण्डल झलकत निरखत मन मोहे ॥

गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी।
आदि पुरुष योगीश्वर संतान हितकारी ॥

नाथ निरंजन आप ही घट घट के वासी।
करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी ॥

ऋद्धि सिद्धि चरणो में लोटत माया है दासी।
आप अलख अवधूत उत्तराखंड वासी।।

अगम अगोचर अकथ अरूपी सबसे न्यारे।
योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे ॥

ब्रम्हा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावे।
नारद सारद सुर मिल चरनन चिट लावे ॥

चारो युग में आप विराजत योगी तन धारी।
सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय तारी ॥

गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे।
विनवत बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे ॥



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