बज बारस की ओगड़ा की कहानी
एक गाव हो। बठ अकाल पड्यो हो। गावको सावकार तलाव बांध्यो पर तलाव न पानी लाग्यो कोणी। जरा पंडितजी बोल्या ," शेठ जी थान दो पोता ह। एक पोतो तलाव म न्हाक देओ तो तलाव न पानी लागसी। " जरा सावकार बिचार क-यो एक पोतो जाइ पर पूरा गावन पानी मिली। पर बहुन क्यान बतानु।
सावकार बहु न बोल्यो, "बहूजी थाका पीर को बुलावो आयो ह। थे छोटा हंसराज न लेयर जावो बड़ा बंसराजन अठेही रखो।" बहु हंसराज न लेयर पीर गयी। अटन सावकार तलाव का किनारा घणो बड़ो जिग रच्यो। होमहवन क-यो। बंसराज न तलाव म गैर दियो। जना बहुको भाई बिन बोल्यो , " थारा घर आज होम हवन चाल्या ह। जिग रच्या ह। गाव गावसु लोग बुलाया ह। थन कोणी बुलायो। " भू बोली, "थान बुलायो ह। मन म्हारा घर जावन बुलावो थोड़ी लगीसी। " यान बोलर बहु आपरा घर जावन निकली।
घर पूग्या बाद बहुन देखर सासु सुसरा डरन लाग्या। अब बहु पूछी जना काई केवणु यो सोचन लाग्या। सासु बहुन बोली , "बहूजी चलो आज बज बारस ह। चालो तळावकी पूजा करा। " दोई जन्या तलाव पर गयी। पूजा करी। फेर सासु बोली, "बहूजी आज थे चुन्दडी सु तलाव की कोर खाण्डि करो। " बहु बोली, "म्हे कोणी म्हारा तो हंसराज बंसराज ह। " सासु बोली, "आज म बोलू जिको करो। " बहु सासुकी बात सुनी और चून्दडिसु तळावकी कोर खाण्डि कारन बोली, "आओ रे म्हारा हंसराज, आओ रे म्हारा बंसराज लाडू उठाओ। " सासु दरबा लगी। बिचार करबा लागी, "अब बंसराज कठासु आई। " भगवान की प्रार्थना करबा लागी। जित्ताम बंसराज तलावमायसु झरझरता केसासु निकल्यो। यो देखर बहु पूछी, "यो काई ह सासुजी ?" जना सासु सगळी हकीगत बताई।
हे भगवान सासुको सात राख्यो ब्यान सगलाको राखज्यो। अधुरिकी पूरी करज्यो , पूरी न परवान करज्यो। भूल चूक माफ़ करज्यो।
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