YouTube

Thursday 21 August 2014

बिनायकजीकी हराळी की कहानी


बिनायकजीकी हराळी की कहानी 




एक राक्षस हो। बो सगळा लोगान तकलीफ देवतो। गाया  मारतो। लुगायां न तकलीफ देवतो। यज्ञ याग हुबा देतो नहीं। सगळा लोग घना परेशान हुयग्या। लोग बिनायकजीकी आराधना करी। जरा बिनायकजी प्रसन्न हुआ। और पुछ्या , "थे इत्ता दुःखी क्यूँ हो ?" जरा सबजणा बी राक्षस का बाराम बताया। और प्रार्थना का-या , "हे गौरीनंदन बी राक्षसन थे मार देओ। " बिका  बाद गणेशजी बी राक्षस न मारन  ताई घनी घनघोर क-या और बी दानव न मार काढयो।



लड़ाई खत्म हुया बाद गणेशजीका शरीर सु घनी उष्णता निकली और गणेशजी समेत बा उष्णता सब लोगान तकलीफ देबा लागि। जना ऋषीमुनी गणेशजीकी दूर्वा हराळी सु पूजा करी। बिनायकजी प्रसन्न हुया और सगळीकन सुख शांति हुयी।

हे गणेशजी महाराज घटती की पूरी करज्यो। सगळां न सुख शांति दी ब्यान म्हान बी दीजो।



इ कहानी का बाद चाँद की कहानी , लपेश्री तपश्री की कहानी और बिश्रामजीकी कहानी कवणु। 

No comments:

Post a Comment

Strategic Alliances

  Strategic Alliances -  For any achievement gone need the right person on your team.  Sugriv was very keen on this. Very first Sugriva was ...