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Wednesday 6 April 2022

भक्ति योग

 संसार के साथ या स्त्री पुत्र मित्र आदि के साथ जो संबंध है, वह माना हुआ संबंध है, जो नाशवान है, अर्थात शरीर के रहते ही यह संबंध रहते हैं, और मरने पर मिट जाते हैं, लेकिन परमात्मा से संबंध जन्म लेने के पहले और मरने के बाद भी रहता है, जीव का परमात्मा से सनातन संबंध है,

विचार कीजिए--- मरने के बाद धन यही रह जाएगा, उसे कमाने के लिए जो पाप किए हैं वे साथ जाएंगे, और उनसे परलोक में दुर्गति होगी,

मरने के बाद धन तिजोरी में रह जाता है, पशु जहां-तहां बंधे रह जाते हैं, स्त्री घर के दरवाजे पर ही साथ छोड़ देती है, लोग श्मशान तक ही जाते हैं, और शरीर भी चिता तक ही साथ रहता है, उसके बाद परलोक के मार्ग में केवल धर्म ही जीव के साथ रह जाता है,

विचार कीजिए---- जिन वस्तुओं को हम अपना मानते हैं, वह सदा साथ नहीं रहेंगी, पर उनका संबंध है वह बंधन रह जाएगा, जो जन्म जन्मांतर तक साथ रहेगा,

इसलिए साधक को चाहिए कि वह शरीर को या तो संसार अर्पण कर दे जो कर्म योग है

चाहे अपने को शरीर एवं संसार से सर्वथा अलग कर ले जो ज्ञान योग है

और चाहे अपको भगवान के अर्पण कर दे जो भक्ति योग है 

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