जय श्री कृष्ण सखियों! मारवाड़ी त्यौहार हो और कहानियाँ न हो ऐसा नहीं हो सकता। मारवाड़ी त्यौहार कथाओं के बाद आसाबाड़ी को बोला जाता है जिससे कथा का पुण्य मिलता है। कृपया इसे हर कथा के बाद पढ़े।
सब कहानियाँ का आखिर म केवणु।
आसाबाडी आसाबाड़ी ज्याम बैठी कन्या कुमारी।
कन्या कुमारी कई शिवर ?
शीतला माता की कहानी शिवर। (शीतला माता की जगह पर उक्त त्यौहार को नाम लेवनु। )
बिनायकजी की कहानी शिवर।
लपेश्री तपश्री की कहानी शिवर।
बिश्राम देवता की कहानी शिवर।
आ शिवरायुं काई हुव?
अन्न हुव, धन हुव, लाभ हुव , लिछमी हुव।
बिछुड़यान मेळो हुव।
निपुत्र्यान पुत्र हुव।
रोग्या को रोग जाव।
बिंदरा बिन्द म एक सखी केवती , सगळी सुनती।
ज्याकी मन इच्छा पूर्ण हुई ब्यान सगलाकी इच्छा पूर्ण करज्यो।
पढ़ने के लिए धन्यवाद अगर आपको इससे मदत हुई हो तो एक बार कमेंट में जय श्री कृष्ण कह दीजिये और इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
No comments:
Post a Comment