जो लोग तुम्हारी बुराई करते हैं वो करेंगें ,
चाहे
तुम अच्छा काम करो या बुरा।
इसलिए
शांत रहकर अपना कर्म करते रहो,निंदा से मत घबराओ।
निंदा
उसी की होती है जो जिंदा है,
मरने
के बाद तो सिर्फ तारीफ होती है।।
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कितने भी अच्छे
कर्म कर लो,
तारीफ श्मशान
में ही होगी
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गलत पासवर्ड
से एक छोटा सा मोबाइल का लाँक नहीं खुलता;
तो गलत
तरीके से जिन्दगी जीने से वैकुण्ठ के दरवाजे कैसे खुलेंगे?
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तारीफ किये बिना
- कोई खुश होता नहीं।।
और झूठ बोले बिना
- किसी की तारीफ होती नहीं।।
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खुश होना है तो
तारीफ सुनिए।।
और बेहतर होना है
तो निंदा सुनिये।।
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समय
के साथ बदलने का हुन्नर तो हर कोई रखता है, तारीफ तो
तब होगी जब वक्त बदल जाये और इंसान न बदले ।
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लोग
बुराई करे और आप दुखी हो जाओ
लोग
तारीफ करे और आप सुखी हो जाओ
मतलब
आपके सुख दुख का स्विच लोगो के हाथ मेँ है ??
कोशिश
करें ये स्विच आपके हाथ में हो।
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तारीफ
चरित्र कि हो तो ज्यादा बेहतर है चित्रो की नही
क्योंकि
चित्र बनाने मे कुछ दिन कुछ समय लगते है चरित्र बनाने मे पूरा जीवन!
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तारीफ
के मोहताज़ नहीं होते सच्चे लोग ,
क्योकि
असली फूलो पर कभी ,
इत्र
नहीं लगाया जाता।
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किसी
के भी अच्छे कार्य की तारीफ खुले मन से करे
अपनी
व्यक्तिगत नापसंद को बीच में न आने दे
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