उड़रे हंस सिंदूर बर्णा, पावणडा चार बुलाव ओ
काका बाबा मावसा सखीजाभणरा जाया बीर ओ
उड ये बन री कोयली, पावणड्याचार बुलाय ओ
काकी बडीया मावसी सखी जामनरी जायी बेन ओ
आँगन खुँटयो खेर को, खाती बाई प्यारु रा दास ओ
आँगन बुदल्यों तेल को, तेलीबांई कौशल्यारा दास ओ
आँगन भाजी मेथी की, माली बाई सुमित्रारा दास ओ
आँगन बरतन खडखड्या नाई बाईं विनीता रा दास ओ
आँगन मुचड्या मचमची मोची-बाई नुपुर का दास ओ
आँगन खाजा खरखरा, राजा बाई बनडीरा बाप ओ
आँगन केसरी घुल रही, केसरीया लांडलड़िरा कंत ओ
राई मुंगी मालव, सखी सांबर मुगो लूण ये
भुआ बाई मूंगा आरत्या सखी बहन बीराजीरं ब्यावये
बेन बुलत्व बापर झबुकर लूण उतारसी जोडी इबछल राख
दोय पापड दोय बडिया
म्हारी बिरद सुहानी होय ओ
लोग केवंता म्हें सुन्या
*पाण्डुरंगजी सूं ब्यावन होय ओ
आओ लोगा देख ल्यो
म्हारी बिरद सुहानी होय ओ
लोगा री चिती घर पडी
म्हारी बिरद सुहानी होय यो
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