ऊँची चढुला साहेबा नीची उतरुला
देखूँ म्हारो जामण जायो आवतो
काकाजी आया, म्हारा बाबाजी आया
जलहर जामी बाबुल नहीं आया
थाने ये गोरी म्हारी अगड़ घडाय दूँ
थारा बाबूलरी कर मानजो
थे ही मानोला साहेबा लोग न मान
नैन झुरता लोभी नहीं आयो
काकीजी आई म्हारी बडियाजीं आई
राता तो देई मायड नहीं आई
थाने ये गोरी म्हारी गोखरु उडाय दूं
थारा मायज रा कार मान लो
थे तो मनोला साहेबा लोग न माने
नैन झुरता लोभी नहीं आयो
काकारा आया म्हारा बीस नहीं आया
जामनरा जाया बीरा नहीं आया
थाने ये गोरी म्हारी चूंदड़ ओढाय दूँ
थारा तीरा री कर मान लो
थेई मानोला साहेबा लोग न माने
नैन झुरता लोभी नही आयो
काकीरी आईं म्हारं बडियारी आई
जामनरी जाई बहनड़ नही आई
थाने ये गोरी म्हारी शालू मंगाय दूँ
थारा बहनड़ री कर मानलो
थे ही मानलो साहेबा लोग न माने
नैन झुरता लोभी नहीं आयो
=================
No comments:
Post a Comment