मुश्किलों से मुँह चुराने वाला कायर कहलाता है।
तेरी बेहतरीन अदाकारी देखकर मन भर आता है।।
ऐसी भी क्या मज़बूरी रही होगी।
तूने अपने दिल की हालत किसी से तो कही होगी।
कुछ वजह तो माँ बाप यारों से दूरी भी रही होगी।
ज़रूर तूने वो दर्द और तकलीफ अकेले सही होगी।।
तकलीफों से घबराकर भाग जाना ये सब तो ठीक नहीं।।
मानस जन्म एक बार मिले।
ये बार बार मिल जाने वाली भीख नहीं।।
अरे दुख तकलीफ परेशानी भी तो ज़िन्दगी का हिस्सा हैं।।
चला गया तू सब छोड़कर तेरी मौत भी अब सबके लिए कहानी या किस्सा है।।
ज़िन्दगी है तो सब झेलना पड़ता है।
खुद को मज़बूत रखने ले लिए इनसे खेलना पड़ता है।।
क्या तेरी ज़िन्दगी पर बस तेरे माँ बाप का बिलकुल हक नहीं।
क्यूँ उनके बारे में एक मर्तबा सोचा तक नहीं।।
ये सच है कि अब तू ना कभी आएगा।
पर उन बुज़ुर्गों के लिए अब ये जीवन पहाड़ सा बन जाएगा।।
मुश्किलों से मुँह चुराकर कायर भागा करते हैं।
बस तो फिर ज़्यादा क्या कहना!!
कायर तो बस कायर की मौत ही मरते हैं।।
एक बात आखिर में मुझे ज़रूर कहनी है।
ज़िन्दगी से प्यार करो ये मुश्किलें तो तमाम उमर ही रहनी हैं।।
इंसानी शक्ल लेकर आए हो तो ऊपर वाले का एहतराम करो।
तुम्हारे ऊपर हक है बहुतों का।।
ना गलत कोई भी काम करो।
ॐ शांति ॐ
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