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Wednesday 3 February 2021

महाराज एकनाथ जी को क्रोध नहीं आया

महाराष्ट्र के सुविख्यात संत एकनाथ जी के जीवन की घटना है। पैठण कुछ शरारती युवकों ने तय किया कि जो कोई इस नाथ जी को क्रोध दिला देगा उसे ₹200 इनाम दिया जाएगा। एक ब्राह्मण युवक ने यह कार्य करने की ठानी। वह दूसरे दिन प्रातः काल एकनाथ जी के घर पहुंचे उस समय भी पूजा कर रहे थे उन विराम युवक बिना हाथ पैर धोए और बिना किसी से अनुमति लिए सीधा उजागर में पहुंचा और एकनाथ जी की गोद में बैठ गया उसने सोचा कि ऐसा करने पर भी क्रोधित हो उठेंगे किंतु इतना जी ने हंसकर कहा भैया तुम्हें देखकर मुझे बड़ा आनंद हुआ। मिलते तो बहुत से लोग हैं किंतु तुम्हारा प्रेम तो विल्सन है। युवक चकित रह गया ₹200 के लोगों ने उसे दूसरी बार प्रयास करने को उकसाया। भोजन के समय उसका आसन एकनाथ जी के पास ही लगाया। जब भोजन परोसने एकनाथ जी की पत्नी गिरिजाबाई आई तो उनके झुकते ही युवक लपक कर उनकी पीठ पर चल गया एकनाथ जी ने पत्नी से कहा देखना ब्राह्मण कहीं गिर ना पड़े। गिरजा बाई मुस्कुराते हुए बोली डरने की कोई बात नहीं है मुझेजी ने उसे ह्रदय से लगा कर क्षमा कर दिया।
वस्तुतः जीवन में कई बार विपरीत परिस्थितियों आती है। जिनका धैर्य पूर्वक सामना करने वाला ही जीवन में सुख शांति व सफलता प्राप्त कर पाता है।

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