1
होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरह;
तो मै तेरे शहर मे कभी धूप ना आने देता
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2
भटकते रहे हैं बादल की तरह;
सीने से लगालो आँचल की तरह;
गम के रास्ते पर ना छोड़ना अकेले;
वरना टूट जाएँगे पायल की तरह।
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3
ऐ बादल ! मेरी आँखे तुम रख लो
कसम सें बड़ी माहिर हैं बरसने मे
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4
सुनो ये बादल जब भी बरसता है,
मन तुझसे ही मिलने को तरसता है
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5
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
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6
दो बुँदे क्या बरसी, चार बादल क्या छा गये,
किसी को जाम तो किसी को कुछ नाम याद आ गये
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7
तूम तरस जाएँगी प्यार की एक बूँद के लिए
मैं तो बादल हूँ किसी और पे बरस जाऊंगा
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8
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ,
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ।
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9
कौन लड़की कहती व है हम उसके बिना मर जायेंगी
कहती है हम तो दरिया है समंदर में उतर जायेंगी।।
हमने कहा तरस जायेओगे प्यार के लिए वो बोली,
हम तो बादल है प्यार के,किसी और पर बरस जायेंगे|।
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10
आंधी चली थी कल रात इल्ज़ामों की,
सुबह रिश्ता बिखरा बिखरा सा मिला!!
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