फ्रैंकलीन रुजवेल्ट।
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रावण के पास निजबल, जन व बाहुबल था, आत्मबल नहीं।
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बदलाव तभी संभव है जब हम पहले यह स्वीकार करें कि हमें बदलाव की जरूरत है। हमें आत्ममंथन की दरकार है।
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कुछ लोग केवल खरीदना ही जानते हैं, विदा करना उनके स्वभाव में नहीं। यदि नए बर्तनों के आते ही पुराणों को जरूरतमंदों को दे दे, तो उनके लिए तो वे ही नए है।
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माता के समान सुख देने वाली केवल उत्तम विद्या ही है। --शंकराचार्य।
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अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अंततः बुरा ही में तब्दील हो जाती है। --विलियम शेक्सपीयर
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जो ठाकुर के प्रति शरणागत होता है, उसका ब्रह्म शाप भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। --रामकृष्ण परमहंस
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हमारे सभी अंतिम निर्णय ऐसी मनोदशा के लिए जाते हैं, जो बहुत लंबे समय तक स्थाई नहीं रहती। --मार्सेल प्रुस्त
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प्रेम जब प्रगाढ़ होता है तो प्रकृति के सारे उपादान आसपास मंडराते है।
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सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। --अवतार सिंह पाश
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