सीधे साधे दो अक्षर भी,
क्या क्या खेल दिखाते हैं !
जब जब मुख से राधा निकले,
नजर बिहारी आते हैं !!
राधा नाम है ऐसा जादू ,
ये पापी को कर दे साधू !
दुख के शूल फूल बन जायें,
जिनसे खुशबू महक जाये !!
राधा नाम सुमिरने से ही,
मंजिल अपनी पाते हैं !
भटक जो जायें कभी अगर तो,
कृष्ण राह दिखलाते हैं
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टेड़े सुंदर नैन
टेड़े मुख कहे बेन
टेढ़ो ही मुकुट बात टेडी कछु कह गयो
टेड़े घुँघराले बाल टेड़े
गल फूलमाल
टेड़े ही बालक मेरे चित में बसे गयो
टेड़े पगु पर नूपुर झनकार करे
टेडी बासुरी बजाए चित चूरे गयो
ऐसो टेड़े टेड़े को ध्यान धरयो
लट पटी पाग सो लपेट मन ले गयो
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फागुन में रसिया घर बारी फागुन में ।
हो हो बोले गलियन डोले गारी दे दे मत वारी ।।१।।
लाजधरी छपरन के ऊपर आप भये हैं अधिकारी ।
पुरुषोत्तम प्रभु की छबि निरखत ग्वाल करे सब किलकारी ।।२।।
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कीर्तन (राग : बिलावल)
बरसाने की गोपी मागन फगुवा आई l कियो हे जुहार नंदजुको भीतर भवन बुलाई ll 1 ll
एक नाचत एक गावत एक बजावत तारी l काहे मोहन राय दूरि रहे मैयाय दिवावत गारी ll 2 ll
आदर देत व्रजरानी अब निज भागि हमारे l प्रीतम सजन कुलवधू पाये दरस तुम्हारे ll 3 ll
सुने कुंवरि मेरी राधे अबही जिन मुख मांडो l जेंवत श्याम सखन संग जिन पिचकाई छांडो ll 4 ll
केसरि बहोत अरगजा कित मोहन पर डारो l सीत लगे कोमल तन तुमही चित्त विचारो ll 5 llअपूर्ण
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राधा त्याग की राह चली तो
हर पथ फूल बिछा गया कृष्णा
राधा ने प्रेम की आन रखी तो
प्रेम का मान बढ़ा गया कृष्णा
कृष्णा के मन भा गई राधा
राधा के मन समा गया कृष्णा
कृष्णा को कृष्णा बना गई राधा
राधा को राधा बना गया कृष्णा
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राहों के अंधेरों से हैरान नहीं होना
तेरे साथ है राधे जी,परेशान नहीं होना ।
कल वो ही उठाएंगे,जो आज गिराती हैं,
जब कोई नहीं आते,तो राधे रानी आती है ।।
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