यह उस समय की बात है जब देश पर अंग्रेजो का शासन था| वे लोग तरह तरह के अत्यचार करते और अदिसंख्या भारतीय चुप चाप सहन करते थे| विरोध करने के लिए हिम्मत किसी में भी नहीं रहती थी| एक दिन प्रतापगढ़ स्टेशन पर एक अंग्रेज केला खा रहा था| खाते खाते उसने केला पास ही कड़ी तक भारतीय लड़की पर फेक दिया| उसकी इस हरकत से लड़की सहम गई और कुछ बोलते हुए वहा से दूर हट गई| इससे उस अंग्रेज की हिम्मत और बढ़ गई और अब वह दूर खड़ी लड़की के और पास गया और जोर से सिटी बजाई| स्टेशन पे अनेक लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने भी अंग्रेज की इस हरकत विरोध नहीं किया| तभी अचानक एक आदमी आया और उसने अंग्रेज को डपटते हुए कहा, “तुम यह बत्तमीजी क्यों कर रहे हो?” अंग्रज अकाद में आकर नवयुवक को अपना गुस्सा दिखाने लग गया| तो आदमी ने अंग्रेज को एक थप्पड़ मारा| थप्पड़ खा के पहले तो अंग्रेज लड्खडाया फिर संभल कर आदमी पर झपटा| लेकिन आदमी को पता था की ऐसा कुछ होगा| फिर उसने अंग्रेज को इतना मारा की उसे लड़की से क्षमा मंगनी ही पड़ी|
सार यह है की अन्याय को सहन करना उसका साथ देने जैसा ही है|
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