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Thursday 22 October 2020

गुरु के विचारों को जीवन में उतारा गुरुदेव विद्यार्थी ने

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के भक्तों की संख्या अनगिनत थी पूर्णविराम उनके निकट शिष्यों में एक थे पंजाब से गुरुदेव विद्यार्थी। विद्यार्थी काफी लंबे समय स्वामी दयानंद के सानिध्य में रहे और उनसे काफी कुछ ज्ञान भी ग्रहण किया। स्वामी दयानंद को वे निजी तौर पर काफी अच्छे से जानते थे। जब स्वामी दयानंद का देहावसान हुआ तो उसके कुछ समय बाद स्वामी जी के ही किसी दूसरे शिष्य ने विद्यार्थी से कहा पंडित जी स्वामी जी महायोगी थे आपको उनके घनिष्ठ संपर्क में रहने का अवसर मिला है। इसलिए आपको उन्हें के विषय में विस्तृत जानकारी है। आप स्वामीजी का एक जीवन चरित्र क्यों नहीं लिखते विद्यार्थी  गंभीरता से बोले स्वामी जी का जीवन चृत लिखने का मैं प्रयत्न कर रहा हूं। थोड़ा बहुत आरंभ भी कर चुका हूं। उस विद्यार्थी ने बड़ी उत्सुकता से पूछा यह जीवन चरित्र कब संपूर्ण होगा कब तक प्रकाशित हो जाएगा विद्यार्थी भोले आप यह मत सोचो कि मैं कागज पर स्वामी का जीवन चरित्र लिख रहा हूं। मेरे विचार से तो महापुरुषों का जीवन चरित्र मनुष्य के स्वभाव में आचरण में लिखा जाना चाहिए। मैं इसी प्रकार का प्रयास कर रहा हूं कि मेरा जीवन स्वामी जी से पद चिन्ह पर चले। वस्तुत: किसी महान हस्ती के विचारों को अपने आचरण में जीना है उसके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होती है। यही अनुकरण संबंधित हस्ती के ज्ञान की ज्योति को अधिकाधिक लोगों में प्रसारित कर अनुयायियों परिष्का करता है 

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