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Monday, 7 September 2020
राष्ट्रकवि दिनकर ने बताया साहित्य का महत्व
जब जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे तब उन्हीं के प्रयासों से कवि सम्मेलन शुरू हुआ था उस समय राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जैसे महान रचनाकार इस सम्मेलन में शिरकत करते थे। एक बार जब कवि सम्मेलन आयोजित किया गया और काव्य पाठ के बाद जब समापन की बेला आई उस समय नेहरू और दिनकर अपने कुछ साथियों के साथ वापस लौट रहे थे। लौटते समय दिनकर अपने मित्रों के साथ आ गए थे और नेहरू उनके पीछे। सीढ़ियों से उतरते वक्त अचानक पंडित जी का पैर फिसला और वे गिरते इससे पहले ही उन्होंने दिनकर के कंधे पर हाथ रखा। आभार व्यक्त करते हुए कहा दिनकर जी शुक्रिया आज आपके कारण में हादसे का शिकार होते होते बचा। मैत्री के ही भाव से दिनकर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कोई बात नहीं पंडित जी जब जब किसी देश की राजनीति लड़खड़ा आती है साहित्य उसे सहारा देता है। साहित्य का धर्म है कि वह समाज को सही दिशा की ओर उन्मुख करें। गौरतलब है की रूस के साम्यवादी आंदोलन से लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक में साहित्यकारों ने समाज को जागृत और आंदोलित करने में बड़ी भूमिका निभाई। यह भी कि कई पुस्तकें इसलिए तत्कालीन तानाशाह सरकारों ने जप्त कर ली क्योंकि उनकी सामग्री ना केवल गलत दिशा में चली राजनीति को ठीक करने वाली थी अपितु उस के माध्यम से समाज को भी सही दिशा की ओर जाने के संकेत दिए गए थे।
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