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Friday 18 September 2020

अनोखे ढंग से महात्मा ने दीया मोह से बचने का संदेश

एक महात्मा क्रो संपांट्वेंत्त मात्र चार वस्तुएं थीं एक कंबल, चिमटा, तुंत्नी और लंगोटी । इन चारों वस्तुओं में कीमत की दृष्टि से सवांथिक मूल्यवान था कंबल, जो महात्मा को किसी भक्त ने दिया था। एक रात वह कंबल चोरी हो गया। दूसरे दिन जब महात्मा के भक्त उनकी कुटिया में आए तो उन्हें यह जानकर बड्रा दुख हुआ। उन सभी ने महात्मा क्रो दूसरा क्या लाकर देने , की बात कही, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया । उन्होंने कहा मुझे पता है कि वह कंबल कौन ले गया है? कहां है और कब मिलेगा? भक्त समझे कि महात्मा त्रिकालदर्शी हैं और उन्होंने चोर का पता लगा लिया है । उन लोगों ने महात्मा से प्रार्थना क्री कि वे चोर के बारे मेँ बता दें ताकि उसे दंड दिया जा सके। यह सुनकर महात्मा उठ खड़े हुए और भागने लगे । भक्तों ने पूछा कि कहां जा रहे हैं? वे बोले चोर क्रो पकड़ने जा रहा हूं। तुम सभी मेरे पीछे चले आओ । सभी भक्तों क्रो लेकर वे श्मशान में पहुंचे और धूनी रमाकर बैठ गए । भक्तों ने पूछा क्या चोर यहीं है? महात्मा ने उत्तर दिया एक न एक दिन वह यहीं आएगा। सारी दुनिया यहीं आती है । यही सभी की अंतिम मंजिल है । उनकी भी, जिनके मास क्रंबल है और उनकी भी, जिनके पास कंबल नहीं है। उसकी भी, जिसका कंबल चोरी चला गया है और उसकी भी, जिसने कंबल चुराया है । महात्मा की जात का मर्म जानकर भक्तों क्रो आत्मज्ञान प्राप्त हुआ । सार यह है कि मानव जीबन का अंतिम सत्य मृत्यु है। इसलिए किसी भी वस्तु के प्रति मोह नहीं रखना चाहिए, क्योकि मोह अंतत: दुख का कारण बनता है। 

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