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Sunday 9 August 2020

एक बार बेईमान हर बार बेईमान 

बेईमान है तू फरेबी है तू।
यही था आज जो चूर हो गया किसीभी काबिल नहीं है तू।
तेरे जिक्र भी करू अब इस काबील नहीं है तू।
अब दिल में रहने लायक नहीं है तू।

ऊपर लिखी शायरी सच कहु तो किसी के टूटे दिल का हाल बयां कर रही है। पर सच देखा जाये तो ये पंक्तियाँ हर बेईमान का वर्णन करती है। क्यों की एकबार जिसने बेईमानी की वह उसकी आदत बन गयी। अगर आपका साथी आपको एक बार धोका दे चूका है तो इस बात की तैयारी में हमेशा रहिये की वो आपको फिरसे धोका देंगा। और ये बारबार होंगा - तबतक होगा जबतक आप आपके साथी के साथ है।

अब सवाल ये है की बेईमान साथी बार बार धोका क्यू देंगा और क्यू किसी और के साथ आपके रहते हुए भी रिश्ता बनाएगा ?

इसका जवाब मानसशास्त्र ने कुछ इस तरह दिया है -

मस्तिष्क का एक हिस्सा होता है - प्रमस्तिष्कखंड - Amygdala जो इंसान को झूठ बोलने के बाद नकारात्मक संकेत देता है। पर हर बार झूठ बोलने के बाद प्रमस्तिष्कखंड ने दिया हुआ संकेत कमजोर होता जाता है। और फिर झूठा इंसान अपनी गलतियों को कम महसूस करता है। यही बात हर बार किसी बुरे काम को करते वक्त भी होती है। पहली बार कुछ बुरा किया बहोत बुरा लगता है। पर अगली बार उसी काम को करते वक्त थोड़ी तकलीफ कम होती है और फिर अभ्यास हो जाता है।

बेईमान की बेईमानी आप पकड़लो तो उसके बाद तुरंत उसके साथ दूरिया बना लो या फिर तैयार रहो की ये वो फिरसे करेंगे। क्युकी एकबार उसने झूठ बोला वो दूसरीबार झूठ बोलने को कम नहीं करेंगा। और इस तरह छोटे छोटे झूठ बड़े झूठ में बदल जायेंगे।

इसीलिए बेईमान साथी का फैसला लेने के पहले सोच समझ लेना।

अंत तक इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। इसे अपने अन्य परिचितों के साथ जरूर शेयर करिये। अगर आप का कोई ऐसा अनुभव है तो कमेंट करना न भूले और अगर अपने किसी बेईमान को ईमान सिखाया होंगा तो उसकी कहानी आपके कमेंट की स्वरुप में सादर आमंत्रित है। मेरे अन्य ब्लॉग आप पढ़ सकते है। 

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