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Sunday 12 July 2020

स्वामी विवेकानंद ने पढ़ाया एकाग्रता का पाठ

स्वामी विवेकानंद अमेरिका प्रवास पर थी पूर्णविराम भ्रमण पर जाते थे। इस दौरान कई प्रकार के लोगों से उनका मिलना होता और विभिन्न अनुभव प्राप्त होते। लोगों के ज्ञान में उनसे मिलकर वृद्धि होती और विवेकानंद स्वयं को भी बौद्धिक रूप से और समृद्ध करते जाते। एक बार वे एक नदी के किनारे टहल रहे थे। वहां उन्होंने देखा कि कुछ युवक एक पुल पर खड़े होकर करते हुए अंडों के छिलकों को गोली का निशाना बनाने का प्रयास कर रहे थे। यह दृश्य देखकर स्वामी जी के होठों पर मुस्कान उभर आई। उन्हें मुस्कराते एक युवक को गुस्सा आ गया पूर्णविराम वह चढ़ कर बोला आप क्या समझते हैं कि यह काम बहुत आसान है जितना आसान आपको यह देख रहा है उतना है नहीं पूर्णविराम चाहे तो आप भी निशाना लगाकर देख लीजिए। स्वामी जी ने बंदूक ली और 11 12 अंडों के छिलकों को गोली का निशाना बनाया। उन युवकों ने सोचा कि स्वामी जी का निशाना इतना अचूक होने का कारण इनका नंबर अभ्यास होगा लेकिन वे यह जानकर चकित रह गए कि उस दिन के पहले स्वामी जी ने कभी बंदूक पकड़ी भी नहीं थी पूर्णविराम तब स्वामी जी ने उन्हें अपनी सफलता का रहस्य मन का संयम और एकाग्रता बताया जिसे युवकों ने सदा के लिए घाट बागली। सार यह है कि जब ध्यान की संपूर्णता अपने लक्ष्य पर हो तो वह अवश्य ही प्राप्त होता है। इसीलिए जीवन में सफलता पाने के लिए एकाग्रता अत्यावश्यक है।

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