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Monday 8 June 2020

कर्म की मूल भावना पर ही टिका होता है परिणाम

केस नजरिए से और के इरादे से हम काम कर रहे हैं, उस पर परिणाम टिका होता है, लेकिन कई बार ऐसा भी हो जाता है कि काम हम सही कर रहे होते हैं और तरीका हमारा गलत होता है। इस बात की भी संभावना रहती है कि काम हम गलत कर रहे होते हैं और तरीका हमारा सही होता है। मूल भावना क्या है, इस पर परिणाम टिका रहता है। सुंदरकांड अशोक वाटिका में हनुमान जी की मुठभेड़ रावण के सैनिकों से हुई। रावण के बेटे अक्षयकुमार को हनुमानजी जानते थे की रावण की नगरी में उसी के बेटे को मारना कितनी बड़ी गलती थी। जबकि जामवंत जी ने हनुमान जी से कहा था कोई ऐसे काम मत करना, जिसमें बड़े पैमाने पर हिंसा हो जाए, लेकिन हनुमान जी की दृष्टि मैं परिणाम को रखा था पूर्णविराम देखने में लगता है, रावण के बेटे को मारना गलत था, क्योंकि हनुमान जी दूध बनकर आए थे पूर्णविराम पर हनुमान जी जानते थे कि मुझे रावण तक संदेश पहुंचाना है और रावण जैसे अंकारी आदमी छोटी मोटी घटना से ना तो प्रभावित होगा और ना ही हनुमान जी को ठीक से नोटिस में लेगा। प्रबंधन में दक्ष हनुमान जी ने अक्षय कुमार के माध्यम से एक ऐसा संदेश तैयार किया कि रावण सारे काम छोड़कर हनुमान जी से बात करने पर मजबूर हो गया पूर्णविराम वह जान चुका था कि जो व्यक्ति मात्र वाटिका उजाड़ने में मेरे पुत्र को संसार से विदा कर सकता है, वह समान्य नहीं होगा। इसकी बात मुझे विशिष्ट शैली में सुन्नी और समझनी होगी पूर्व या यहीं से हनुमान जी रावण पर अपना प्रभाव जमाया था और अपने दूध कर्म को स्थापित किया था।

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