हम बोलने का मौका ही नही देती हो
इसलिए निगाहो से बात कर लेते है
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कभी मिला मौका तो शिकायत करूँगा तेरी ख़ुदा से ऐ शातिर
कि तू छोड़ गया था भरी महफ़िल में मुझे कुछ गैरो की ख़ातिर
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ऐसा कौन आ गया है तेरी जिदंगी में,
जो तुझे मेरी याद आने का मौका ही नहीं देता
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दोस्ती करो तो धोखा मत देना
दुसरो का आंसुओ का तोहफा मत देना
दिल से रोये कोई ज़िन्दगी भर
ऐसा किसी को मौका मत देना
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कोई कहे इसे जादु की झप्पी,
कोई कहे इसे प्यार,
मौका है खूबसूरत,
आ गले लग जा मेरे यार…
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रूबरू मिलने का मौका नहीं मिलता
इसलिए शब्दों से सब को छू लेता हूँ
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गैरो ने नसिहत दी और दिया अपनो ने धोखा
ये दुनिया है साहब यहाँ चाहिए हर किसी को मौका
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ये इश्क भी क्या चीज़ है ग़ालिब..
एक वो है जो धोखा दिए जाते है,
और एक हम है जो मौका दिए जाते हैं
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पहली नमस्ते परमात्मा को, जिन्होंने हमें बनाया है.
दूसरी नमस्ते माता पिता को, जिन्होंने हमें अपनी गोद में खिलाया है.
तीसरी नमस्ते गुरुओं को, जिन्होंने हमको वेद और ज्ञान सिखाया है.
चौथी और सबसे महत्वपूर्ण नमस्ते आप को जिन्होंने हमें अपने साथ जुड़े रहने का मौका दिया है.
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वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला
बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए
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तुम मुझे मौका तो दो ऐतबार बनाने का;
थक जाओगे मेरी वफाओं के साथ चलते चलते!
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