नव पल्लव नव कोपलों का
भावनाओं से दुलार कर
तन घर में रम, मन निर्झर बन
नव वर्ष का सत्कार कर
नवरात्र का यह प्रथम दिवस
नव शक्ति का आह्वान कर
प्रार्थना उस शक्ति से
दुष्ट शक्ति का संघार कर
तन घर में रम, मन निर्झर बन
नववर्ष का सत्कार कर
पाव पसारे बैठा सन्नाटा
बस कुछ दिनों की बात है
लड़ रहे हम को बचाने
उस योद्धा का आभार कर
तन घर में रम मन निर्झर बन
नव वर्ष का सत्कार कर
एक मन ही, सौ बल पर भारी
अपने से अपनों की कर फिकर
जीत जाएंगे यह युद्ध भी
बस, सुने मन में त्योहार भर
तन घर में रम, मन निर्झर बन
नववर्ष का सत्कार कर।
No comments:
Post a Comment