पेट में गया हुआ जहर तो सिर्फ; एक ही व्यक्ति को मारता है।। जबकि कान में गया और जुबान से निकला हुआ जहर; अनेकों रिश्तों व संबंधों को मार देता है।।
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जो कर्म सद्भाव से प्रेरित होकर किये जाते हैं, वे ही फलित होते हैं !
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जीवन में खुशी का अर्थ लड़ाइयाँ लड़ना नहीं, बल्कि उन से बचना है।
कुशलतापूर्वक पीछे हटना भी अपने आप में एक जीत है।
क्योकि, अभिमानकी ताकत फरिश्तो को भी शैतान बना देती है, और
नम्रता साधारण व्यक्ति को भी फ़रिश्ता बना देती है।
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कठिन परिस्थितियां एक वाशिंग मशीन की तरह होती है जो हमें ठोकर मारती है घुमाती है और निचोड़ती भी है,
परन्तु जब भी हम इन से बाहर आते हैं तो हमारा व्यक्तित्व पहले की अपेक्षा अधिक साफ, चमकीला और बेहतर होता है।
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नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है।
जिससे होती है
वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है।
भविष्य का भय सदैव केवल उनके लिए सताता है जो वर्तमान में भी संतुष्ट नहीं। जिस व्यक्ति को वर्तमान में संतुष्ट रहना आ गया फिर ऐसा कोई दूसरा कारण ही नहीं कि उसे भविष्य की चिंता करनी पड़े।
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हमारे जीवन की सारी प्रतिस्पर्धाएँ कवेल वर्तमान जीवन के प्रति हमारी असंतुष्टि को ही दर्शाती हैं। व्यक्ति जितना संतोषी होगा उसकी प्रतिस्पर्धाएँ भी उतनी ही कम होंगी।
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अक्सर लोग़ भविष्य को सुखमय बनाने के पीछे वर्तमान को दुखमय बना देते हैं।
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याद रखना जिया सदैव वर्तमान में ही जाता है। अत: वर्तमान के भाव मे जियो ताकि भविष्य का भय मिट सके।
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