भीड़ में कहीं खो सी गयी, 'हस्ती' हमारी है.
'साहेब' 'खुद में', 'खुद से', 'खुद को', ढूँढने की 'जंग' जारी है."
=====शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं खुद से होगी,,,
कि मुहब्बत सामने थी और तुम दुनिया में उलझे रहे..!!
=====मिलने को तो दुनिया में, कई चेहरे मिले ,
पर तुम सी मुहब्बत, हम खुद से भी न कर पाये..
=====कौन कहता है...तन्हाई अच्छी नही होती..
बड़ा हसीन मौका देती है खुद से मिलने का...!
====दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मै हर पल याद करू,
खुदा ने बस इतना सिखाया मूझे,
कि खुद से पहले आपके लिए दुआ करू।..
=====खुश रहना हो... तो... अपनी फितरत में...., एक बात शुमार कर लो..!
ना मिले कोई अपने जैसा...., तो खुद से प्यार कर लो..!!
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आंसू जता देते है दर्द कैसा है ।।
बेरूखी बता देती है हमदर्द कैसा है ॥
घमण्ड बता देता है कितना पैसा है ।
संस्कार बता देते है परिवार कैसा है ॥
बोली बता देती है इंसान कैसा है ।
बहस बता देती है ज्ञान कैसा है।
नजरें बता देती है सूरत कैसी है ।
स्पर्श बता देता है नीयत कैसी है ॥
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मिले जो तुम तो लगा जैसे खुद से मुलाकात हो गई,
कहा तो कुछ भी नहीं पर जैसे ज़िन्दगी से बात हो गई.....
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यदि हम अभी भी उस व्यक्ति को ढूंढ रहे हैं जो हमारी जिंदगी बदल सकता है ....
तो हमें एक बार आईने में देखना चाहिए ....
क्योंकि - खुद से ज्यादा हमे और कोई नही बदल सकता...!!
=====चंद खामोश ख्याल और तेरी बातें,
खुद से गुफ्तगू में रात गुज़र जाती हैं..!!
=====होती है बातें आज भी रात भर,
कल तुमसे करते थे और आज खुद से !!
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