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हर रात रो-रो के उसे भुलाने लगे,
आंसुओं में उस के प्यार को बहाने लगे,
ये दिल भी कितना अजीब है कि,
रोये हम तो वो और भी याद आने लगे ।
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कितनी जल्दी ज़िन्दगी गुज़र जाती है
प्यास बुझती नहीं बरसात चली जाती है
तेरी याद कुछ इस तरह आती है
नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है
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ढलने लगी थी रात.. कि तुम याद आ गए,
फिर उसके बाद रात बहुत देर तक रही
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ये चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी;
ये हसीं मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी;
आज आये हैं वो मिलने को बड़ी देर के बाद;
आज की ये रात बड़ी देर के बाद आयी
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धड़कते रहेंगे तुम्हारे दिल की गहराइयों में दिन रात हम
जो कभी खत्म न हो वो अहसास हैं हम
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तेरी खुशुबू से लिपट कर बितायी रात सारी
आज सब मेरे महकने का सबब पूछेंगे
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इक जाम खनकता जाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है.
इक होश-रुबा इनआम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है
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रोज रात को तू इश्क़ की पहरेदारी करता है
ऐ ! चाँद तुझे दिसम्बर में ठण्ड नहीं लगती क्या?
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मेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा होगा
बन के रूह मेरे जिस्म में उतर जाओ तो अच्छा होगा
किसी रात तेरी गोद में सिर रख के सो जाऊं
फिर उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा होगा
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तरस रही हैं निगाहें किरन किरन के लिये
कोई सहर को बताओ के रात कट जाए
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