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Wednesday, 29 April 2020
दूसरे के कहे पर भरोसा करके पंडित जी ने गवाई बकरी
एक पंडित अजमानी कर दूसरे गांव से अपने घर की ओर लौट रहे थे। वे बहुत प्रसन्न थे कोमा क्योंकि दक्षिण में उन्हें एक बकरी मिली थी। रास्ते में पड़ने वाला जंगल जब शुरू हुआ तो पंडित जी को चोर लुटेरों का डर सताने लगा। इसलिए वे राम राम जपते हुए रास्ते से हुए। उसी जंगल में एक घने पेड़ के पीछे चार ठग छिपकर बैठे हुए थे। पंडित जी को देखते ही वे प्रसन्न हो गए पूर्णविराम चारों ने उनकी दुधारू बकरी लूटने की योजना बना ली। दो ठग आगे बढ़कर पंडित जी के पास पहुंचे और उन्हें प्रणाम कर बोले - महाराज, यह कुत्ता ऊंची नस्ल का लगता है। आपको किसने आपको किसने दिया? पंडित जी ने चढ़कर कहा - आपके साथ किसी ने मजाक किया है और बकरी के स्थान पर कुत्ता दे दिया है। पंडित जी आगे बढ़े तो उन्हें दो ठग और मिले और उन्होंने भी बकरी को कुत्ता बताया। पंडित जी सोचने लगे कि 4 लोग असत्य नहीं बोल सकते पूर्णविराम उन्हें विश्वास हो गया कि जो उन्हें दक्षिण में दी गई है वह बकरी नहीं कुत्ता ही है। उन्होंने बकरी को जंगल में छोड़ दिया और अपने यजमान को कोसते हुए घर की ओर निकले। इस प्रकार ठगों ने पंडित जी की बकरी हथियार ली पूर्ण राम कथा का सार यह है कि दूसरों के कहे सुने पर विश्वास करने से प्रायः बुरे नतीजे भुगतने पड़ते हैं। इसलिए अपने ऊपर विश्वास रखते हुए और परिस्थितियां पहचान कर स्वविवेक से निर्णय करना चाहिए।
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