कसूर न उनका था न हमारा
हम दोनों ही रिश्तों की रस्म निभाते रहे
वो दोस्ती के अहसास जताते रहे
हम महोब्बत को दिल में छुपाते रहे
====टुट जाते है कुछ रिश्ते हां के इंतजार में,
कभी-कभार कसूर खामोशी का भी होता है।।।
====न कसूर इन लहरो का था, न कसूर उन तूफानो का था
हम बैठ ही लिये थे उस कश्ती में, नसीब में जिसके डूबना था
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दिमाग पर जोर डालकर गिनते हो गलतियाँ मेरी,
कभी दिल पर हाथ रख कर पूछना की कसूर किसका था
=====कसूर मेरा था तो कसूर उनका भी था,
नज़र हमने जो उठाई थी तो वो झुका भी सकते थे…
=====दीवाने तेरे हैं, इस बात से इनकार नहीं,
कैसे कहें कि हमें आपसे प्यार नहीं,
कुछ तो कसूर है आपकी निगाहों का,
हम अकेले तो गुनेहगार नहीं.
=====कसूर उनका नही, जो मुझसे दूरियां बना लेते है
रिवाज है जमाने में, कुल्फी खाकर लकड़ी फेंक दिया करते है लोग!=====
सांसो की महक हो या चेहरे का नूर,
चाहत हे आपसे तो हमारा क्या कसूर,
रब से एक दिन हम पूछेंगे ज़रूर,
जो रहते हे दिल मे वो क्यू हे हमसे दूर
====बुझ जाता है दीपक अक्सर तेल की कमी के कारण ,
हर बार कसूर हवा का नहीं होता I
====मेरी इस दीवानगी में कुछ कसूर तुम्हारा भी है
तुम इतने प्यारे ना होते तो हम भी इतने दीवाने ना होते
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