नमस्ते आज हम टिकट अलबम पथ पढ़ेंगे।
तो दोस्तों यह पथ है एक ईष्यालु बच्चे के ऊपर है जिसने महेनत से अलबम बनिए पर एक सिंगापूर से आई अलबम के बाद उसके एल्बम को कोई पूछने वाला भी नहीं था, तो आइये इसे पढ़े।
टिकट अलबम
एक स्कूल में राजप्पा नाम का लड़का था। वह कहता फिरता "नगरजन घमंडी हो गया है ", पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता। नागराजन के मां ने उसके लिए सिंगापुर से एक अलबम भिजवाया था। वह इसे लडको को दिखाता। सुबह फली घंटी के बजने के पहले सरे लडके नागराजन को घेरे रहते। आधी छुट्टी के वक्त भी लड़कों का जाघाट उसके पास बना रहता। कुछ टोलियों में उसके हर भी जाते थे। नागराजन सबको अलबम देखता पर किसीको छूने नहीं देता। स्कूल की लडकिया तक उसके एल्बम को देखने के लिए उत्सुक थी। पारवती उनकी अगुवा बानी, क्यूँकि वही लड़कियों में तेज़-तर्रार मानी जाती थी। नागराजन ने एल्बम को कवर लगा कर उसे दे दिया। शाम को लड़कियों ने अलबम वापस कर दिया।
अब राजप्पा को कोई पूछने वाला नहीं था उसने मधुमखी की तरह टिकट जमा किये थे। उसकी अलबम की लड़कों में बहुत तारीफ थी। उसे तो बस एक ही धुन सवार थी। सुबह आठ बजे वह निकल पड़ता सभी टिकट जमा करने वाले लड़कों के घर हो अत। किसी के पास कोई दो टिकट होते तो वह दूसरे को देता और कोई और टिकट लेता। शाम को घर आने के बाद बस्ता रखकर माँ से चबेना लेता और खड़े-खड़े ही कॉफी पीटा और चार मिले पगडंडियों से अपने दोस्त के घर कनाडा का टिकट लेने को बघता।
स्कूल भर में उसका एल्बम सबसे बड़ा था। सरपंच के बेटे ने उसके अलबम को पच्चीस रुपए में खरीदना चाहा। पर राजप्पा नहीं मन उसने कहा "घमंडी कही का, तुरे घर में जो प्यारी बच्ची है उसे तीस रूपए में ", सरे लडके ठहाका मर कर हसने लगे।
पर अब कई नहीं पूछता है राजप्पा से, सब उसके अलबम को फिसड्डी कहते है। पर राजप्पा ने नागराजन के अलबम को देखने की इच्छा कभी प्रकट नहीं की। पर जब बच्चे नागराजन का एल्बम देकते तो उसे दिख जाता। उसका एल्बम सचमे बहुत सुन्दर था, पर अब नागराजन का एल्बम हिट हो गया था। उसके एल्बम के पहले पैन पे जो लिखा था उसे पढ़कर कोई उसे चुराने की हिम्मत शायद ही कर पाए. पहले पैन पे मोती से अक्षरों में लिखा था -
ए. एम. नागराजन
इस अलबम को चुराने वाला बेशरम है। ऊपर लिखे नाम को कभी देखा है? यह अलबम मेरा है। जबतक घास हरी और कमल लाल, जबतक सूरज पूर्व से उगे और पश्चिम मे छिपे उस अनंत कल तक यः अलबम मेरा है, रहेगा।
तो दोस्तों यह पथ है एक ईष्यालु बच्चे के ऊपर है जिसने महेनत से अलबम बनिए पर एक सिंगापूर से आई अलबम के बाद उसके एल्बम को कोई पूछने वाला भी नहीं था, तो आइये इसे पढ़े।
टिकट अलबम
एक स्कूल में राजप्पा नाम का लड़का था। वह कहता फिरता "नगरजन घमंडी हो गया है ", पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता। नागराजन के मां ने उसके लिए सिंगापुर से एक अलबम भिजवाया था। वह इसे लडको को दिखाता। सुबह फली घंटी के बजने के पहले सरे लडके नागराजन को घेरे रहते। आधी छुट्टी के वक्त भी लड़कों का जाघाट उसके पास बना रहता। कुछ टोलियों में उसके हर भी जाते थे। नागराजन सबको अलबम देखता पर किसीको छूने नहीं देता। स्कूल की लडकिया तक उसके एल्बम को देखने के लिए उत्सुक थी। पारवती उनकी अगुवा बानी, क्यूँकि वही लड़कियों में तेज़-तर्रार मानी जाती थी। नागराजन ने एल्बम को कवर लगा कर उसे दे दिया। शाम को लड़कियों ने अलबम वापस कर दिया।
अब राजप्पा को कोई पूछने वाला नहीं था उसने मधुमखी की तरह टिकट जमा किये थे। उसकी अलबम की लड़कों में बहुत तारीफ थी। उसे तो बस एक ही धुन सवार थी। सुबह आठ बजे वह निकल पड़ता सभी टिकट जमा करने वाले लड़कों के घर हो अत। किसी के पास कोई दो टिकट होते तो वह दूसरे को देता और कोई और टिकट लेता। शाम को घर आने के बाद बस्ता रखकर माँ से चबेना लेता और खड़े-खड़े ही कॉफी पीटा और चार मिले पगडंडियों से अपने दोस्त के घर कनाडा का टिकट लेने को बघता।
स्कूल भर में उसका एल्बम सबसे बड़ा था। सरपंच के बेटे ने उसके अलबम को पच्चीस रुपए में खरीदना चाहा। पर राजप्पा नहीं मन उसने कहा "घमंडी कही का, तुरे घर में जो प्यारी बच्ची है उसे तीस रूपए में ", सरे लडके ठहाका मर कर हसने लगे।
पर अब कई नहीं पूछता है राजप्पा से, सब उसके अलबम को फिसड्डी कहते है। पर राजप्पा ने नागराजन के अलबम को देखने की इच्छा कभी प्रकट नहीं की। पर जब बच्चे नागराजन का एल्बम देकते तो उसे दिख जाता। उसका एल्बम सचमे बहुत सुन्दर था, पर अब नागराजन का एल्बम हिट हो गया था। उसके एल्बम के पहले पैन पे जो लिखा था उसे पढ़कर कोई उसे चुराने की हिम्मत शायद ही कर पाए. पहले पैन पे मोती से अक्षरों में लिखा था -
ए. एम. नागराजन
इस अलबम को चुराने वाला बेशरम है। ऊपर लिखे नाम को कभी देखा है? यह अलबम मेरा है। जबतक घास हरी और कमल लाल, जबतक सूरज पूर्व से उगे और पश्चिम मे छिपे उस अनंत कल तक यः अलबम मेरा है, रहेगा।
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