तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ
तुम्हारे साथ भी कुछ दूर जा कर देख लेता हूँ...
=====अब तक न खबर थी, मुझे उजड़े हुए घर की,
तुम आए तो घर बेसरोसामां नजर आया।
=====बिखरी पड़ी थी ज़िन्दगी लफ़्ज़ों में जैसे.
तुम आए ज़िन्दगी में तो एक मुक़म्मल नज़्म हो गई.
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तुम आए हो जब से मेरे इश्क में बरकत होने लगी है..
चुपचाप रहता था ये दिल अब कुछ-कुछ हरकत होने लगी है..
=====मैंने कहा: "बहोत प्यार आता है तुम पर..."
वो मुस्कुरा कर बोले: "तुम्हे और आता ही क्या है???"
=====यह कैसी लगन तुमने, मुझको लगा दी ...!!
सोचा था प्यास बुझेगी, तुमने और बढ़ा दी ...!!
=====जब तुम आने का वादा करती हो...
तो सारे काम छोड़कर तेरा इंतज़ार करता हु...
======एक दिन शिकायत तुम्हे "वक़्त" और "ज़माने" से नही "खुद" से होगी.
कि, ज़िंदगी सामने थी और तुम "दुनिया" मैं उलझे रहे.
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तुम खास नहीं हो, मगर हर सांस में हो;
रूबरू नही हो मगर हर एहसास में हो;
मिलोगे या नहीं मगर, मेरी हर तलाश में हो;
चाहे पूरी हो या ना हो मगर हर आस में हो;
दूर ही सही तुम मगर फिर भी दिल के पास हो
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सब कुछ पा लिया तुम से इश्क करके...
बस कुछ रह गया तो वो तुम ही थे...
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