ये ना पूछो हमसे कभी क्या किसीसे मोहब्बत की थी,
ये पूछो हमसे यारों दीवानगी किस हद तक थी.
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कभी कुछ ग़म भी हो हरदम ख़ुशी अच्छी नहीं होती
हमेशा एक जैसी ज़िन्दगी अच्छी नहीं होती
उसे पाकर तुम अपने आप को भी भूल बैठे हो
किसी पर इतनी भी दीवानगी अच्छी नहीं होती
=====उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में हम
महफ़िल में रह कर भी रहे तन्हाईयों में हम
दीवानगी नहीं तो और क्या कहें
इन्सान ढूंढते रहे परछाइयों में हम
=====Image Credit: www.hindishayarie.in
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आशिक़ी लिखें , दीवानगी लिखें या अपनी ख़ामोशी लिखें …,
दिल के जज़्बात अब अल्फ़ाज़ नहीं बनते आखिर आज क्या लिखें॥
=====जो फ़ना हो जाऊं तेरी चाहत में तो ग़ुरूर ना करना।
ये असर नहीं तेरे इश्क़ का मेरी दीवानगी का हुनर है !
=====ये उनके हुस्न की इन्तेहाँ थी या हमारी दीवानगी का आलम,
की जबसे उनको देखा है देखते ही रह गये
=====मोहब्बत, पाकीज़ा, दीवानगी, सादगी,
हुस्न, कशिश, दिलकश, हया, इबादत, रूह
कितने लफ्जो में सिमटी हो तुम सिर्फ मेरे लिए
=====तेरी दीवानगी छलक न जाये मेरी इन आँखों से,
इसलिए हर आँसू हम इस दिल में ही दबा लेते हैं!
=====तूने मेरी मोहब्बत की दीवानगी को समजा ही नहीं,
मैं बारिश में भी तेरे आसुओं को पेहचान लेता था.
=====तू वाकिफ़ नहीं मेरी दीवानगी से,
जिद्द पर आऊँ तो ख़ुदा भी ढूंढ लूँ
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very nice and useful
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