मरने वाले तो एक दिन बिना बताय मर ही जाते है,
रोज़ तो वो मरते है जो खुद से ज्यादा किसी और को चाहते है..
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मैं कैसे लडूँ मुकद्दमा खुद से उसकी यादों का.
ये दिल भी वकील उसका, ये जान भी गवाह उसकी!
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मैं कैसे लडूँ मुकद्दमा खुद से उसकी यादों का.
ये दिल भी वकील उसका, ये जान भी गवाह उसकी!
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कभी करीब तो कभी जुदा था तू;
जाने किस-किस से ख़फ़ा है तू;
मुझे तो तुझ पर खुद से ज्यादा यकीन था;
पर ज़माना सच ही कहता था कि बेवफ़ा है तू।
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घुटन सी होने लगी प्यार जताते हुए...
मैँ खुद से रुठ गई हूँ तुम हे मनाते हुए. ...
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सुबह शाम तेरी चाहत करूँ ,
तुझसे ना कभी कोई शिकायत करूँ,
तेरे हसीं लबों पे यूं ही मुस्कान बरक़रार रहे सदा,
मुझमे समाये रहो मेरी धड़कन बनकर,
चाहकर भी तुझको खुद से जुदा ना करूँ ॥
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दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मे हर पल याद करू,
खुदा ने बस इतना सिखाया हे मुझे
कि खुद से पहले आपके लिए दुआ करू..
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तेरी यादों ने मुझे क्या खूब मशरूफ किया है ऐ सनम..
खुद से मुलाकात के लिए भी वक़्त मुकर्रर करना पड़ता है।
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मुझे समझना है तो बस अपना समझ लेना,
क्यूंकि हम अपनो का साथ खुद से भी ज्यादा निभाते है
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खुद से दिल भर भी जाये,
लेकिन तुमसे भर जाये ये मुमकिन नहीं..
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