तुम्हारे बिना संगीत की ख्वाहिश अधूरी है
तुम्हारे बिना साज़ की गुंजाईश अधूरी है
तुम हो तो ये हवा महकती है
तुम हो तो ये फ़िज़ा चहकती है
तुम हो तो मुझे जन्नत की चाह नहीं
तुम हो तो मुझे ख्वाहिशों की आह नहीं
तुम नहीं तो मुझे दुनिया से क्या लेना
तुम नहीं तो मुझे दुनिया को क्या देना
तुम नहीं तो चाँद तुझमे ये दाग कैसा
तुम नहीं तो बरसात में फिर नशा कैसा
तुम्हारे बिना धुप पिघलती नहीं
तुम्हारे बिना शबनम चमकती नहीं
तुम्हारे बिना आसमां खिलती नहीं
तुम्हारी बिना धरती मुझसे संभलती नहीं
तुम नहीं तो ये जिंदगी गुनाह जैसी
तुम नहीं तो मौत तुझसे परवाह कैसी
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