1.
ये बात पूछ रहा हूँ तुझसे सरे-आम महफ़िल में
क्या थोड़ी सी जगह दे सकोगे अपने दिल में
2.मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में ,
मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का,
मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।
3.महफ़िल ना सही, तन्हाई तो मिलती है;
मिलें ना सही, जुदाई तो मिलती है;
प्यार में कुछ नहीं मिलता;
वफ़ा ना सही, बेवफ़ाई तो मिलती है।
4.शराफत के उसुलो से बगावत करने लगते है.
ये पढ़े लिखे भी भरी महफ़िल में शरारत करने लगते है.
Image Credit: http://www.manytalk.asia/
5.
टूटे हुए काँच की तरह चकना चूर हो गए..
किसी को लग ना जायें इसलिए सबसे दूर हो गये..
तेरी याद, तेरी चाहत, शायरी के अल्फाज बन गये..
भरी महफ़िल में लोग, मेरे दर्द को भी वाह वाह कह गए.!
6.महफ़िल भले ही प्यारवालों की हो,,
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ आशिक ही लाता हैं....
7.ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये,,
बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके..!!
8.बदला हुआ वक़्त है, ज़ालिम ज़माना है,
यंहा मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है,
वो नाकाम मोहब्बत थी, अंजाम बताना है,
इन अश्कों को छुपाना है, गज़ले भी सुनाना है,
इस महफ़िल में सबको, अपना ही माना है.
9.कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते;
हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते;
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा;
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।
10.महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है;
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है;
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे;
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
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