एक बार श्रीराधा ने श्री कृष्ण से पूछा आप मुरली को मुझसे अधिक प्रेम करते हो क्या?
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श्री कृष्ण मुस्कुराए बोले क्या आप जानती है मैं एक गवाला हूँ, गँवार हूँ, पड़ा लिखा नहीं हूँ पर जब जब राधा नाम बोलने का प्रयास करता हूँ राधा नाम पूरा नहीं ले पाता
जब रा कहता हूँ और धा बोलने तक प्रेम में मूर्च्छित हो जाता हूँ
तो दो शब्द रा और धा पूरा भी नहीं कह पाते
जब श्री कृष्ण से पूछा नारद जी ने नारद पंचरात्र मे श्री राधा नाम की महिमा के बारे में तब श्री कृष्ण बोले
हे नारद जब मैं अपनी स्वामिनी का पूरा नाम नहीं ले सकता तो महिमा कैसे बता सकता हूँ
रा बोलते ही मूर्च्छित हो जाता हूँ
हाँ तब मैं राधा अपनी इस मुरली का सहारा लेकर
मुरली के द्वारा राधा नाम गाता हूँ
राधा नाम लेने में मेरी मुरली ही सहायक बनती है इसीलिए मैं मुरली को अपने निकट रखता हूँ राधा नाम लेने के लिए
मुरली मेरी गुरु है राधा नाम लेने के लिये
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