विनम्र आग्रह --एक बार पढना जरूर
सुजाता को लड़का हुआ, नॉर्मल डिलीवरी होने के कारण उसी दिन हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई,
घर में सभी बहुत खुश थे क्योंकी पहले एक तीन साल की लड़की थी,
सासू जी बहू के आराम के लिए हाल के पास वाले कमरे में बिस्तर लगा रही थी।
बहू शाम को घर आ गई, बच्चे को देखने और सुजाता की खबर पूछने रिश्तेदार व पड़ोसी आने लगे,
सासु माँ घर का सारा काम भी करती,
सुजाता व बच्चे का ध्यान रखती और आनेवालों का स्वागत भी करती।
कहते हैं सभी एक जैसे नहीं होते ,
पान्चो उगंलिया एक समान नही होती है,
सभी अपनी अपनी सलाह सुजाता की सास को देकर जाते, सुजाता को सब अंदर सुनाई देता था,
उसी समय एक पड़ोसी की पत्नी आई और कहने लगी,
देखो वैसे तो हम डिलीवरी में पूरा मेवा "काजु,बदाम,पिस्ता गोदं,सब डालकर लड्डू बनाते हैं ,
पर अपनी बेटियों के लिए, अब बहु है तो थोड़ा कम ज्यादा भी चल जाता है,
बादाम बहुत मंहंगी है इसलिए 500 ग्राम के बदले 150 ग्राम ले लेना ,
और वैसे ही सभी मेवा थोड़ा थोड़ा कम कर देना ,
और लड्डू कम न बने इसके लिए गेहूं का आटा ज्यादा ले लेना,
सुजाता की सास सब सुनती रही अंदर सुजाता भी सब सुन रही थी,
पड़ोसन चली गई, ससुर जी बोले " देखो में बाजार जा रहा हूँ,
तुम मुझे क्या क्या लाना है लिखवा दो?
कोई चीज बाकी ना रहे,
तभी सुजाता की सास ने सामान लिखवाया, हर चीज बेटी की डिलीवरी के समय से ज्यादा ही थी ,
ससुर जी ने हंसते हुए पूछा इस बार सभी सामान ज्यादा है क्या तूम भी लड्डू खाने वाली हो?
तब सुजाता की सास बोली "सुनों जब बेटी को डिलिवरी आई थी तब हमारी परिस्थिति अच्छी नहीं थी ,और आमदनी भी कम थी ,
तब आप अकेले कमाते थे, अब बेटा भी कमाता है इसलिए मैं चाहती हूँ की बहू के समय, में वो सब चीजें बनाऊँ जो बेटी के समय नहीं कर पाई,
क्या बहू हमारी बेटी नहीं है।
और सबसे बड़ी बात यह की बच्चा होते समय तकलीफ तो दोनों को एक सी ही होती है ,
इसलिए मैंने बादाम ज्यादा लिखे हैं लड्डू में तो डालूंगी ही ,पर बाद में भी हलवा बनाकर खिलाउंगी,
जिससे बहू को कमजोरी नहीं आये और बहू -पोता, हमेंशा स्वस्थ रहें!
सुजाता अंदर सबकुछ सुन रही थी और सोच रही थी में कितनी खुशकिस्मत हूँ।
और थोड़ी देर बाद जब सासुजी रूम में आई तो सुजाता बोली "क्या मैं आपको मम्मीजी की जगह मम्मी कहूँ?
बस फिर क्या? दोनों की आँखों में आँसू थे।
दोस्तो बहुत छोटी छोटी सी बाते होती है ,
जिनसे रिश्ते मजबूत भी हो सकते है,और बिखर भी सकते है ,
कभी गौर करना ,
जिस बात पर आप और हम घर मे क्लेश कर लेते है
वो कुछ महत्व पूर्ण बात नही होती है ,
महत्व पूर्ण होता है ,हमारा अहम ,
जो आहत होता है ,
अरे जब हम एक ही परिवार का हिस्सा है तो मेरा अहम आपके अहम से बडा कैसे हो गया ,
बडो के प्रति सम्मान और छोटो के लिए स्नेह का भाव रखिऐ ,
फिर देखीऐ ,
आपका परिवार समाज के लिए आदर्श बन जाऐगा,
याद रक्खे,आपके लिऐ जो आपका परिवार कर सकता है
ओर कोई नही करेगा,
बाहर वालो का काम लोगो के घर मे आग लगाकर हाथ सेकने का होता है ,,
लोगो के बहकावे मे ना आए ,
अपने विवेक से सही गलत का फैसला करे ,
आप सभी का दिल से धन्यवाद!
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