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Thursday 15 March 2018

अवतार

ठाकुर  जी  का  बहुत  प्यारा भक्त  था  जिसका  नाम  अवतार  था वह  छोले  बेचने  का  काम  करता  था उसकी  पत्नी  रोज  सुबह-सवेरे  उठ छोले  बनाने  में  उसकी  मदद   करती थी !

एक  बार  की  बात  है  एक  फकीर जिसके  पास  खोटे  सिक्के  थे  उसको  सारे  बाजार  में  कोई  वस्तु नहीं  देता  हैं  तो  वह  अवतार  के पास  छोले  लेने  आता  हैं !

अवतार  ने  खोटा  सिक्का  देखकर भी  उस  फकीर  को  छोले  दे  दिए।ऐसे  ही  चार-पांच  दिन  उस  फकीर ने  अवतार  को  खोटे  सिक्के  देकर छोले  ले  लिए  और  उसके  खोटे सिक्के  चल  गए !

जब  सारे  बाजार  में  अब  यह  बात फैल  गयी  की  अवतार  तो  खोटे सिक्के  भी  चला  लेता  हैं  पर अवतार  लोगों  की  बात  सुनकर कभी  जबाव  नहीं  देते  थे । अपने ठाकुर  की  मौज  में  खुश  रहते  थे !

एक  बार  जब  अवतार  पाठ  पढ़ कर उठे  तो  अपनी  पत्नी  से  बोले -"क्या छोले  तैयार  हो  गए ?"

पत्नी  बोली -"आज  तो  घर  में  हल्दी -मिर्च  नहीं  थी  और  मैं  बाजार  से लेने  गयी  तो  सब  दुकानदारों  ने कहा  कि--यह  तो  खोटे  सिक्के  हैं और  उन्होंने  सामान  नहीं  दिया !"

पत्नी  के  शब्द  सुनकर  ठाकुर  की याद  में  बैठ  गए  और  बोले-"जैसी तेरी  रज़ा ! तुम्हारी  लीला  कौन  जान सका  हैं !"

तभी  आकाशवाणी  हुई -" क्यों अवतार  तू  जानता  नहीं  था  कि  यह खोटे  सिक्के  हैं !"

अवतार  बोला -"ठाकुर  जी  मै  जानता  था !"

ठाकुर  ने  कहा - "फिर  भी  तूने  खोटे सिक्के  ले  लिए 
ऐसा  क्यूँ  भले  मानुष !

अवतार  बोला -"हे  दीनानाथ ! मैं  भी तो  खोटा  सिक्का  हूँ  इसलिए  मैंने खोटा  सिक्का  ले  लिया  मै  तुम्हारी शरण  मे  आऊँ  तो  तू  मुझे  अपनी शरण  से  नकार  ना  दे !

क्योंकि  आप  तो  खरे  सिक्के  ही  लेते  हो  आप  स्वयं  सब  जानते  हो ! खोटे  सिक्कों  को  भी  आपकी  शरण मे  जगह  मिल  सकें !

थोड़ी  देर  में  दूसरी  आकाशवाणी  हुई -"हे  भले  मानुष ! तेरी  हाज़िरी क़बूल  हो  गयी  हैं  तू  ठाकुर  का खोटा  सिकका  नहीं  खरा  सिक्का हैं !

जो  भी  कर्म  करो  ठाकुर  के  चरणो मे  समर्पित  करते  रहो  फल  के  बारे मे  मत  सोचो  आप  देखना  जिंदगी की  गाडी  कितनी  तेज  गति  से दौडेगी  पलटकर  नही  देखना पडेगा !!

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