त्रिशुलपाणी शंभो नीलग्रीवा शशीशेखरा हो/ / जय
वृषभारूढ फणि भूषण दशभुज पंचानन हो/
विभूति माळा जटा सुंदर गजचर्मावरधारा हो// जय
पडले गोहत्येचे पातक गौतम रूषी च्या शिरी हो/
त्याने तप मांडिले ध्यान आणुनि तुज अंतरी हो// जय
औदुंबरमुळी प्रगटे पावन त्रैलोक्याते करी हो// जय
धन्य कुशावर्ताचा महिमा वाचे वर्णु किती हो/
अणिकही बहुतीर्थे गंगाद्वारादिक पर्वती हो// जय
वंदन मार्जन करिती त्यांचे महादोष नासती हो/
तुझिया दर्शनमात्रे प्राणी मुक्तीते पावती हो// जय
तै तै काया कष्टे जव जव चरणि रुपती खडे हो// जय
केवळ तो शिवरूपी काळ त्याच्या पाया पडे हो// जय
लावुनिया निजभजनी सकळहि पुरविसी मनकामना हो/
संतति संपत्ती देसी अंती चुकविसी यमयातना हो// जय
शिवशिव नाम जपता वाटे आनंद माझ्या मना हो/
गोसावी नंदन विसर संसारयातना हो// जय
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