बजरंग का मै दीवाना हु।
भक्तोमे जिनका नाम सदा, धुन में उनके राम जाता हु।
बजरंग के द्वार आनेसे, हर संकट भी मिट जाते है।
भक्तोकी डूबी नैया को, बजरंगी पार लगते है।।
बिगड़ी तू बनता है पल में, जो द्वार तुम्हारे आता है।
आते ही तेरे द्वार सभी, तुझे बजरंग कह के बुलाते है।।
तेरे भक्ति में हे बजरंगी सदा, मै नित नित शीश झुकाता हु।
गुणगान तुम्हारे गाता हुँ , चोला मै लाल चढ़ाता हुँ।।
रघुवर के काज सवारने ही, लंका को तुमने जलाया था।
लघु रूप धरा कर भीमा का, असुरो को तुमने संघारा था।।
तेरे शक्ति को देख, रावण का दिल घबराया था।
लक्ष्मण के प्राण बचाने को, संजीवनी तुही लाया था।।
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